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Saturday 24 October 2015

माओवादियों पर अब आकाश से भी नज़र रखेगी एंटी माओ अभियान बल

माओवादियों पर अब आकाश से भी नज़र रखेगी एंटी माओ अभियान बल

नक्सल प्रभावित इलाकों में हेलिकॉप्टरImage copyrightCG Khabar
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले करने के लिये पुलिस के जवान वायुसेना के सहयोग से लगातार अभ्यास कर रहे हैं.
वायुसेना से प्रशिक्षित होकर पुलिस माओवादियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले के लिये पूरी तरह तैयार बताई जा रही हैं लेकिन राज्य में नक्सल विरोधी अभियान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आर के विज का कहना है कि यह कार्रवाई केवल 'जवाबी' और 'आत्मरक्षा' के लिए होगी.
आर के विज का बयान ऐसे मौके पर आया है, जब राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने माओवादियों से बातचीत कर रास्ता निकालने की बात कही है.
छत्तीसगढ़ में भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल पिछले कई सालों से जवानों को लाने-ले जाने, घायलों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने और जंगल में कैंप बना कर रह रहे जवानों को राशन पहुंचाने के लिए होता रहा है.
लेकिन पिछले कुछ सालों से माओवादी लगातार इन हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाते रहे हैं.
पिछले साल 22 नवंबर को बट्टीगुडेम में घायल जवानों को ले जा रहे भारतीय वायु सेना के एक हेलिकॉप्टर पर माओवादियों ने फ़ायरिंग की थी, जिसमें दो लोग घायल हो गये थे.
नक्सल प्रभावित इलाकों में हेलिकॉप्टरImage copyrightCG Khabar
2014 में ही चिंतलनार में माओवादियों ने सीआरपीएफ के आईजी एच एस सिद्धू के हेलिकॉप्टर पर हमला किया था, जिसमें गनमैन को गोली लगी थी.
इसके अलावा 18 जनवरी 2013 को भी सुकमा में माओवादियों ने वायु सेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर पर हमला किया था, जिसके बाद खेत में हेलिकॉप्टर की आपात लैंडिग कराई गई थी.
माओवादियों के ऐसे वीडियो टेप भी सार्वजनिक हुए हैं, जिसमें उन्हें नकली हेलिकॉप्टर पर निशाना बनाने का प्रशिक्षण देते हुए दिखाया गया है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में हेलिकॉप्टरImage copyrightCG Khabar
आर के विज कहते हैं,"माओवादी वायुसेना के हेलिकॉप्टर को निशाना बनाते रहे हैं. लेकिन हमारी ओर से कभी कार्रवाई नहीं की गई है. क़ानूनी तौर पर हमें आत्मरक्षा के लिए हमला करने का अधिकार है और अब हम इसका इस्तेमाल करेंगे."
हालांकि विज का कहना है कि इसे माओवादियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले की तरह नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन मानवाधिकार संगठन, विज की इस बात से चिंतित हैं.
Image copyrightCG Khabar
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की महासचिव और हाईकोर्ट की अधिवक्ता सुधा भारद्वाज जो माओवादियों के मानवाधिकार के लिए लाख लाख आँसूं बहाती हैं, उनको पुलिस की इस तैयारी से आपत्ति है. सर्वविदित है कि इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समक्ष जवान और ग्रामीण नागरिकों का कोई मानवाधिकार अर्थ ही नहीं रखता है.
सुधा भारद्वाज कहती हैं,“अब तक का जो हमारा अनुभव है, उससे बहुत साफ है कि पुलिस की कार्रवाई में कहीं से भी पारदर्शिता नहीं होती. ऐसे में इस बात पर यक़ीन करना मुश्किल है कि हवाई हमले केवल जवाबी कार्रवाई तक सीमित होंगे. ”

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