विचारों की सरहद में
कोई सपना
देखने से पहले
यह कहाँ
सोचा था हमने कि
विचारों, सोच की भी
कोई सरहद
हुआ करती है
देखने से पहले
यह कहाँ
सोचा था हमने कि
विचारों, सोच की भी
कोई सरहद
हुआ करती है
आज खाई हुई
ठोकर से
आने वाला कल
संभलने वाला है
यही सोचकर आज
हमने दिया है
हर जख्म को दिलासा
ये समय, हर घाव
भरने वाला है
ठोकर से
आने वाला कल
संभलने वाला है
यही सोचकर आज
हमने दिया है
हर जख्म को दिलासा
ये समय, हर घाव
भरने वाला है
घायल हैं
कुछ इस तरह
आत्मा अपनी
अब कहाँ है? हम
उस ईश तक पहुँच पायेंगे
इस दुनिया से
विदा होकर
जाने कहाँ ? जायेंगे
कुछ इस तरह
आत्मा अपनी
अब कहाँ है? हम
उस ईश तक पहुँच पायेंगे
इस दुनिया से
विदा होकर
जाने कहाँ ? जायेंगे