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Saturday, 24 January 2015

गाँधी जी की यौन कथा

गाँधी जी की यौन कथा

Sex Life of Mahatma Gandhi गांधी की सेक्स लाइफ़

मोहनदास करमचंद गांधी की कथित सेक्स लाइफ़ पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. लंदन के प्रतिष्ठित अख़बार “द टाइम्स” के मुताबिक गांधी को कभी भगवान की तरह पूजने वाली 82 वर्षीया गांधीवादी इतिहासकार कुसुम वदगामा ने कहा है कि गांधी को सेक्स की बुरी लत थी, वह आश्रम की कई महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे, वह इतने ज़्यादा कामुक थे कि ब्रम्हचर्य के प्रयोग और संयम परखने के बहाने चाचा अमृतलाल तुलसीदास गांधी की पोती और जयसुखलाल की बेटी मनुबेन गांधी के साथ सोने लगे थे. ये आरोप बेहद सनसनीख़ेज़ हैं क्योंकि किशोरावस्था में कुसुम भी गांधी की अनुयायी रही हैं. कुसुम, दरअसल, लंदन में पार्लियामेंट स्क्वॉयर पर गांधी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रही हैं. बहरहाल, दुनिया भर में कुसुम के इंटरव्यू छप रहे हैं. वैसे तो महात्मा गांधी की सेक्स लाइफ़ पर अब तक अनेक किताबें लिखी जा चुकी हैं. जो ख़ासी चर्चित भी हुई हैं.
मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जेड ऐडम्स ने पंद्रह साल के गहन अध्ययन और शोध के बाद 2010 में “गांधी नैकेड ऐंबिशन” लिखकर सनसनी फैला दी थी. किताब में गांधी को असामान्य सेक्स बीहैवियर वाला अर्द्ध-दमित सेक्स-मैनियॉक कहा गया है. किताब राष्ट्रपिता के जीवन में आई लड़कियों के साथ उनकेआत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डालती है. मसलन, गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते थे और नग्न स्नान भी करते थे.।
देश के सबसे प्रतिष्ठित लाइब्रेरियन गिरिजा कुमार ने गहन अध्ययन और गांधी से जुड़े दस्तावेज़ों के रिसर्च के बाद 2006 में “ब्रम्हचर्य गांधी ऐंड हिज़ वीमेन असोसिएट्स” में डेढ़ दर्जन महिलाओं का ब्यौरा दिया है जो ब्रम्हचर्य में सहयोगी थीं और गांधी के साथ निर्वस्त्र सोती-नहाती और उन्हें मसाज़ करती थीं. इनमें मनु, आभा गांधी, आभा की बहन बीना पटेल, सुशीला नायर, प्रभावती (जयप्रकाश नारायण की पत्नी), राजकुमारी अमृतकौर, बीवी अमुतुसलाम, लीलावती आसर, प्रेमाबहन कंटक, मिली ग्राहम पोलक, कंचन शाह, रेहाना तैयबजी शामिल हैं. प्रभावती ने तो आश्रम में रहने के लिए पति जेपी को ही छोड़ दिया था. इससे जेपी का गांधी से ख़ासा विवाद हो गया था.

तक़रीबन दो दशक तक महात्मा गांधी के व्यक्तिगत सहयोगी रहे निर्मल कुमार बोस ने अपनी बेहद चर्चित किताब “माई डेज़ विद गांधी” में राष्ट्रपिता का अपना संयम परखने के लिए आश्रम की महिलाओं के साथ निर्वस्त्र होकर सोने और मसाज़ करवाने का ज़िक्र किया है. निर्मल बोस ने नोआखली की एक ख़ास घटना का उल्लेख करते हुए लिखा है, “एक दिन सुबह-सुबह जब मैं गांधी के शयन कक्ष में पहुंचा तो देख रहा हूं, सुशीला नायर रो रही हैं और महात्मा दीवार में अपना सिर पटक रहे हैं.” उसके बाद बोस गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध करने लगे. जब गांधी ने उनकी बात नहीं मानी तो बोस ने अपने आप को उनसे अलग कर लिया.
ऐडम्स का दावा है कि लंदन में क़ानून पढ़े गांधी की इमैज ऐसा नेता की थी जो सहजता से महिला अनुयायियों को वशीभूत कर लेता था. आमतौर पर लोगों के लिए ऐसा आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था. आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन था कि गांधी की इमैज 20 वीं सदी के धर्मवादी नेता जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश जैसी बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स-अपील से अनुयायियों को वश में कर लेते थे. ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे. इतिहास के तमाम अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और अपनी इच्छा दमित करने के लिए ही कठोर परिश्रम का अनोखा तरीक़ा अपनाया. ऐडम्स के मुताबिक जब बंगाल के नोआखली में दंगे हो रहे थे तक गांधी ने मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम मेरे साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते. आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें.”
किताब में महाराष्ट्र के पंचगनी में ब्रह्मचर्य के प्रयोग का भी वर्णन है, जहां गांधी के साथ सुशीला नायर नहाती और सोती थीं. ऐडम्स के मुताबिक गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला मेरे सामने निर्वस्त्र होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं. मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता. मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है. मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ़ अंतःवस्त्र पहनी होती है.” दरअसल, जब पंचगनी में गांधी के महिलाओं के साथ नंगे सोने की बात फैलने लगी तो नथुराम गोड्से के नेतृत्व में वहां विरोध प्रदर्शन होने लगा. इससे गांधी को प्रयोग बंद कर वहां से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा. बाद में गांधी हत्याकांड की सुनवाई के दौरान गोड्से के विरोध प्रदर्शन को गांधी की हत्या की कई कोशिशों में से एक माना.

वैसे अगर इस पूरी जानकारी का विस्तृत वर्णन करने लगु तो ये कम से कम तीन भागों में जाके पूरी होगी लेकिन अभी थोड़ा ही बता रहा हूँ आगे आपकी प्रितिक्रिया का इन्तजार रहेगा। 

हाल ही में, एक लेखक और ब्रॉडकास्टर जैड एडम्स ने गांधीजी की सेक्स लाइफ के बारे में सच्ची जानकारी देने की बात अपनी नवीनतम पुस्तक में कही है। उनका दावा है कि इस किताब को लिखने से पहले उन्होंने गांधी के जीवन पर लिखी सभी महत्पूर्ण पु‍स्तकों को पढ़ा है और इसके बाद ही कोई बात लिखी गई है। 
पुस्तक में नग्न लड़कियों के साथ सोने की गांधी की आदत को लक्ष्य बनाकर कहा गया है कि मोहनदास गांधी का सेक्स जीवन वास्तव में बहुत ही असाधारण था। वे सेक्स के बारे में अपने अनुयायियों को विस्तृत जानकारी देते जोकि अक्सर ही उत्तेजक होती थी। साथ ही, वे उन्हें बतलाते थे कि पवित्रता का पालन वे कैसे कर सकते हैं? एक लम्बे समय तक उनसे प्रभावित लोगों ने इन बातों का पालन भी किया, लेकिन जब उन्हें लगा कि ये बातें प्रकृति के खिलाफ और असंभव हैं, तब उनके 'सेक्स प्रयोगों' का भारी विरोध हुआ।सभी जानते हैं कि ऐसे लोगों में गांधी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी भी शामिल थे जो पचास के दशक में एक लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार थे। उनकी ही बेटी मनु लम्बे समय तक अपने दादा महात्मा गांधी के साथ रहीं और वे खुद को मनु की मां कहते थे क्योंकि मनु की मां का उसकी छोटी उम्र में ही निधन हो गया था।
यह बात सभी जानते हैं कि सेक्स एक ऐसा विषय रहा है जिसने गांधी को आजीवन परेशान बनाए रखा। संभवत: इस कारण से उन्होंने इस विषय पर बहुत कुछ लिखा भी है। साथ ही, आश्चर्य की बात नहीं है कि इस विषय पर उनके सहयोगियों, परिजनों, करीबियों और लेखक पत्रकारों ने भी बहुत लिखा है। इस संबंध में यह भी कहा जा सकता है कि गांधी के करीबियों और उनकी छवि की चिंता करने वालों ने ऐसी बहुत सारी जानकारियां मिटा दी हैं या नष्ट कर दी हैं।
उनके जीवन पर लिखने वालों में गांधी के कट्‍टर समर्थकों से लेकर उनके कट्‍टर विरोधी शामिल भी रहे, लेकिन इनमें ऐसे लोग भी शामिल रहे हैं जिन्होंने अपने नीर-क्षीर विवेक से सच्चाई को तलाशने की कोशिश की है, भले ही उनके विचार कितने ही अलोकप्रिय क्यों न रहे हों। इस लेख का विषय भी ऐसे तटस्थ लोगों का लेखन है, जिन्होंने सच लिखने में किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया। 
हम सभी को पता है कि सेक्स पर गांधीजी के विचार लोकप्रिय नहीं थे। जब गांधीजी ने नवविवाहितों को सलाह दी कि वे अपनी आत्मा को पवित्र बनाए रखने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें तब जवाहरलाल नेहरू ने गांधीजी के विचारों को 'असामान्य और अप्राकृतिक' कहा था। गांधी के विश्वासों, शिक्षाओं और असामान्य निजी विचारों में पवित्रता एक ऐसा दुराग्रह लगती है, जिसके परिणामस्वरूप उनके विचित्र सेक्स जीवन की कहानी सामने आती है।
उनके इन विचारों का कड़ा विरोध उनके जीवनकाल में ही शुरू हो गया था लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के कारण उन्हें 'राष्ट्रपिता' और 'महात्मा' के विभूषणों से सम्मानित किए जाने के कारण उन्हें लम्बे समय तक केवल सम्मान की नजर से देखा गया। लेकिन, अब ऐसी किताबें लिखी जा रही हैं, पढ़ी जा रही हैं जिनमें गांधी के सेक्स जीवन को बिना किसी पक्षपात के 'निर्मम विश्लेषण' के साथ चित्रित किया गया है।
आपको यह जानकार शायद आश्चर्यजनक लगे कि स्वतंत्रता से पहले दक्षिण भारत में त्रावणकोर राज्य के प्रधानमंत्री ने गांधी को 'ए मोस्ट डेंजरस, सेमी-रिप्रेस्ड सेक्स मैनिएक' तक कहा था। गांधी का विवाह 1883 में तेरह वर्ष की उम्र में हुआ था और तब कस्तूरबा 14 वर्ष की थीं। उस समय के गुजरात के स्तर से यह बाल विवाह नहीं था।

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Tuesday, 6 January 2015

Politics over national security: It happens only in India

Politics over national security: It happens only in India
Source: News Bharati
                Little did the Congress and its secular co-passengers in Indian politics and media know that they are trivializing and undermining the important aspect of national security when they engaged themselves in a slugfest over Indian Coast Guard action against the Pakistani boat on the last day of 2014.

The Congress while asking the government to come clean on the incident questioned the intention and purport of the Coast Guard action, the BJP rightly accused them of playing the Pakistani fiddle and engaging in petty politics over the serious issue of terrorism.

BJP spokesman Sambhit Patra is well justified when he said that the Congress party was “lending credence to the Pakistani stand”, by raising doubts over the Indian Coast Guard action in this incident.

The debates on television channels were also on the expected lines where the retired security personnel accused the Congress party of siding with the Pakistani terrorists and speaking in their voices. They even went to the extent of drubbing the principle opposition party as ‘traitor’.

Union Defence Minister Manohar Parrikar justified the Coast Guard action against the Pakistani boat and stated in most clear terms that the occupants of the boat were terrorists and that the boat was laden with arms and ammunition to be used against India. He congratulated the Coast Guard officials and jawans for taking prompt action in thwarting any possible terrorist attack like 26/11.

The whole issue started with a report of Pravin Swamy, a reporter with Indian Express raising doubts over the Indian Coast Guard action against the Pakistani boat trying to intrude in the Indian waters near Porbandar off Gujarat coast. The Indian Express line was followed by some other secular newspapers including The Hindu raising similar doubts and questions on the issue. They singularly held the view that there were no terrorists and they were smugglers and the Coast Guard mistook them to be terrorists and killed them. The Hindu editorial even demanded that the government share more information on the issue to clear the clouds.

It is very unfortunate that politicising national security issues happen only in India. One retired military officer participating in television debate on this issue the other day very rightly raised this question. He wanted to know whether the Congress party that was ruling the country until recently, was prompted to take such ‘anti-national’ stand simply because people have ousted them from the power.

Can a very serious matter of national security be trivialized? Compromised? Used as a pretext to indulge in political criticism? It should not be.

But it happens only in India.

The menace of terrorism is not limited to India only. The latest victim of this anti-humanity activity was Australia. The political parties in that country did not indulge in criticism against their own government. They extended all the cooperation instead. During the 9/11 attack in WTC New York, the American politicians and media did not indulge in any such activity that would endanger the national security. They did not even show the gory pictures of the terrorist attacks.

But what happens in India? I was watching the India TV 9 pm news on Monday. The India TV reporter was reporting live from Indo-Pak border in the midst of shelling from the other side of the border. He was talking to the people, security personnel and the cameraman accompanying him was showing shots of the border area, outposts that were fired at and the rescue vehicles used for evacuating residents to safer places. All said and done, the reporter should be patted for his bravery and risking his life in his endeavour. But whose interests did he serve?

I am reminded of 26/11 attack on Mumbai and the reporting of this by our media. All the television channels in their competition to give maximum live coverage of the action on the spot were showing all the minute movements of our security forces thus giving easy tips to terrorists holed up in strategic locations to decide their further action. This continued till the media people were told to stop live coverage after almost 48 hours!

Once, former Defence Minister George Fernandes narrated an incident while interacting with students of journalism in Nagpur. He was asked by a reporter about Indian plans to repulse Pakistani aggression on the Kargil border. He refused to divulge on the question. Narrating this George Fernandes said this reporter did not know that by seeking answer to his question whose interests he was serving?

A few days ago the intelligence agency sounded a security alert in the wake of hijack threat by a terrorist group. Following this warning the security network at all the major airports was tightened and put on high alert. A very enthusiastic television channel reporter was reporting from New Delhi airport showing all the security arrangements He did not have slightest of inkling that by doing so he would make the mission of terrorists easy.

National security is always the most important issue for any nation. Any attempt to politicise it or trivialize it would tantamount to treason. Anyone indulging in such anti-national actions should be immediately charged and tried for treason. This very unfortunately has become a practice for our politicians and media men.

After the BJP Government took over under Narendra Modi with a clear majority, the secular parties and media hardly miss any chance of indulging in politics over such issue in their attempt to paint Modi government anti-minority or anti-Muslim. The Indian Coast Guard action was seen as yet another opportunity by them to launch a tirade against the Modi government.

Pakistan has been exporting terror to India. It did so more during the Congress rule. The Modi government has instructed all the security agencies to take strict and stern action against the terrorists and along the border also. As a result there has been considerable decline in terror related incidents in the country. Even Pakistan is given the most befitting answer by our security forces.

In such a situation, it would have been wiser on their part to extend all the support to the government in its moves to contain terror and safeguard the lives of the people. But instead of doing so, the Congress and its secular cohorts are indulging in activities that would demoralise the security forces and question the motives of own government.

This is very unfortunate and most unfortunate is that it happens only in India.
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Islamic State beheads 150 women, some of them pregnant, for refusing to marry militants

Islamic State beheads 150 women, some of them pregnant, for refusing to marry militants
                     Even as the world tries        
to come to terms with the dastardly terrorist attack in Pakistan's Peshawar and the 'lone wolf' attack in Sydney, reports are emerging of more violence by the Islamic State. This time they have reportedly beheaded women in Iraq for not marrying militants.

The Independent "At least 150 females, including pregnant women, were executed in Fallujah by a militant named Abu Anas Al-Libi after they refused to accept jihad marriage."
This comes close on the heels of the incident when the extremists shot dead at least 50 men, women and children in the Iraq.

Not just people of Iraq, Islamic State has waged war against westerners as was seen in the several beheading videos published by the terrorist group in the last few months.

They executed Peter Kassig, a US aid worker kidnapped in Syria, on 16 November 2014 as a warning to the United States. The same video showed the gruesome simultaneous beheadings of at least 18 men described as Syrian military personnel.

Islamic State-linked Jund al-Khilifa, or "Soldiers of the Caliphate," claimed to have beheaded French tourist Herve Gourdel who was abducted in Algeria. The beheading was shown in a video posted online after Paris rejected an Islamic State demand to halt air strikes in Iraq.

Before that it was David Haines, a British aid worker, freelance reporter Steven Sotloff and US freelance photojournalist James Foley.

Known for its ruthless tactics and suicide bombers, ISIS has already controlled the Iraqi city of Fallujah for eleven months, and is also arguably the most capable force fighting President Bashar al-Assad inside Syria.

Its takeover of Mosul in June had prompted the United States to voice deep concern about the "extremely serious" situation and warn the jihadist Sunni group poses "a threat to the entire region".
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