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बरबस उतारने लगे, नाग असर जहर का। कंगन कलाई की, पूछती भाव खँजर का। ज़िंदगी! मैंने देखी, बार- बार कई बार, पुजारी अमन के, पर नोचते कबूतर का। ...

Saturday 19 December 2015

चीन की विस्तारवादी छाया की झलक - नेपाल का संविधान : हेनान से लुम्बनी

नेपाल का संविधान : हेनान से लुम्बनी

सारी, वैमनस्य,भेदभाव और खास दबंगता से भरा नेपाल का संविधान लाख विरोधों के बाद भी चीन के हेनान से बुद्ध के लुम्बनी के बीच एक deal के रूप में बन ही गया।सभी प्रकार के सांस्कृतिक, परंपरा और बेटी-रोटी के संबंधों को ठुकरा कर आज का नया नेपाली संविधान "लुम्बनी से सारनाथ" और "जनकपुर से अयोध्या" की जन भावनाओं पर प्रत्यक्षतः एक भीषण कुठाराघात करते हुए उभर कर सामने आया। आज का तराई-मधेश का संघर्ष इसी कुठाराघात की असह्य वेदना का प्रतिफल है।

चीन का झिजियांग और फुजियान प्रान्त आज पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से आच्छादित है।,जिसमें धार्मिक असहिष्णुता की चीन की कम्युनिष्ट पार्टी के सरकारी दबाव की नीतियों के बावजूद भी 30 वर्ष के आयु के 25% युवा ईसाईयत से प्रभावित हैं,आबादी का 40% बौद्ध मत का अनुयावी है।

चीन आज अपने को दक्षिण पूर्व एशिया में एक Soft Power बनने के लिए अपने पूर्व चीन हेनान को 128 मीटर ऊँची बुद्ध की मूर्ति के साथ अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय और 500 से अधिक गुम्फा का शहर बना चूका है।

2006, 2009, व 2012 में पूर्व चीन के ज़िन्गसू प्रान्त के लिंग्सान में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मलेन सफलता पूर्वक आयोजित कर चुका है। अब तो 2012 के इस सम्मलेन में प्रस्ताव पारित कर स्थायीरूप से लिंग्सान में  प्रत्येक दो वर्ष पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मलेन करने का निर्णय भी लिया।

चीन अपने इस Soft Power के औरा को अपने विस्तारवादी नीति के तहत "एशिया पैसिफिक एंड कोऑपरेसन फाउंडेशन" (एपेक) के माध्यम से 6 अरब डॉलर का सहयोग कर, नेपाल के लुम्बनी के क्षेत्र में चीनी कल्चरल सेण्टर और मंडारिन भाषा का शिक्षा केंद्र चला रहा है।

आज इसी चीनी Soft Power का स्वरुप नेपाली संविधान में स्पष्ट झलक रहा है। जो तराई मधेश के नवलपरासी से पश्चिम के जिलों को, थारु विकास को उपेक्षित व तिरोहित कर, एक प्रान्त के रूप में चिन्हित न करते हुए इस पुरे क्षेत्र को एनी कई पहाड़ी प्रांतों के साथ टुकड़े टुकड़े कर जोड़ दिया। आज का नेपाली संविधान चीन के इस soft power के पीछे छुपा हुआ विस्तारवादी नीति के छाया में हेनान से लुम्बनी तक के चीनी विस्तारवादी मार्ग को ही सुगम व प्रशस्त करने का सुस्पष्ट एक नियोजित परिणाम है।

अब मात्र एक प्रतीक्षा तराई मधेश का यह अपने अधिकारों , हक़ और हकूक की लड़ाई सीता की एक और अग्नि परीक्षा की चित्कार अंतरराष्ट्रीय वैश्विक जगत सुन पाता है कि नहीं ?, विश्व को शांति सदभाव का बुद्ध का सन्देश लुम्बनी से चल गया में बौद्धिसत्व को प्राप्त करेगा? ताकि सारनाथ से विकरित किरणें विश्व को फिर से शांति का सन्देश दे पायेगी?
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Monday 14 December 2015

"या निशा सर्वभूतानं तस्यां जागर्ति सयंमी"

"या निशा सर्वभूतानं तस्यां जागर्ति सयंमी"

अर्थात जब समाज अचेतन होकर नींद में सो जाता है तब योग्य,संयमी अर्थात संवेदनशील गुणी व्यसक्ति सक्रिय जागृत होकर अपने कार्यों को पूर्ण करता है।इसप्रकार स्वकर्तव्यबोध के साथ आगे बढ़ने की आकांक्षा का उत्पन्न होना और उसे परिणाम मूलक कार्य के रूप में करना ही जागरण कहा जाता है। सामान्य भाव में जागरण अँधेरे के विरुद्ध,सुरक्षा का एक संघर्ष है।यह संघर्ष रोशनी की आकाँक्षा को पूर्ण होने तक चलता रहता है।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि समाज के साथ संवाद बनाना ही जागरण है।संवाद का निहितार्थ राष्ट्र व समाज के अन्दर उठ रही चुनौतियों का पहचान करना।आज समाज के अन्दर अंधकाररूपी शैतान जो नानाविधि रूपों में सुरसा सदृश्य मुँह फाडे खड़ा है।
वर्षों से हमने हर क्षेत्र में विकास की दिशा की ओर चलने का प्रयास किया है। चाहे वह ज्ञान-विज्ञानं का क्षेत्र हो,औद्योगिक विकास का क्षेत्र हो या सामाजिक-राष्ट्रिय जीवन मूल्यों का क्षेत्र हो।लेकिन अभी भी हम अनेकों  समस्याओं से सतत जूझ रहे हैं।जैसे- अशिक्षा,विपनता,भ्रूण हत्या, जनसंख्या विस्फोट,अतिवाद,माओवाद,आतंकवाद,विदेशी घुसपैठ,अलगाववाद,मादक द्रव्यों का सेवन,नारी सम्मान का संकट व सुरक्षा आदि।सामान्यतः जनसामान्य में यह धारणा है कि इन समस्याओं का समाधान की जिम्मेवारी सिर्फ व सिर्फ सरकार की,व्यवस्था की है।परन्तु इतना कह और सोचकर हम अपने दायित्वों से बच नहीं सकते हैं।अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ नहीं सकते हैं,बल्कि यह फ़र्ज़ बनता है कि हम आगे बढ़कर इसमें भागीदार बने,सहकार करें।
अनेकों संगठन एवम् जागरूक सक्रिय नागरिक इन समस्याओं का निराकरण करने में लगे हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास इन समस्याओं का अनुभव व इसके समाधान का अनूठे उपाय भी है।आज उन्हें अपनी बात रखने व अपने अनुभवजन्य प्रयोगों की साझेदारी करने का एक मंच की आवश्यकता है।निश्चित ही इस रिक्त स्थान को Forum For Awareness Of National Security (FANS) भरने में पूर्ण सक्षम होगा।
व्यवहार व सत्य के परिदृश्य पर यदि देखा जाय,तो जागरण के माध्यम से ही संवेदनशील समाज व सुरक्षित राष्ट्र खड़ा होता हैं और उसी का विकास भी सुनिश्चित है तथा एकता विकसित राष्ट्र-समाज का परिणाम होता है। आजतक विश्व में किसी असुरक्षित व अविकसित राष्ट्र-समाज में एकता परिलक्षित नहीं दिखायी पड़ती है।अतः आज हम जागरण की नींव पर संवेदनाओं से भरा हुआ एक सुरक्षित,विकसित व एकत्रित श्रेष्ठ देश के रूप में स्थापित होने के संकल्प के साथ लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। बरना---
"इस तरह से गर अँधेरे संगठित होते रहे,
रोशनी को मुल्क में नंगा नचाया जाएगा।
सबसे पहले अगरचे कातिल बचाया जायेगा,
सीकन्चों में फिर कोई निर्दोष लाया जाएगा।।"
गोलोक बिहारी राय
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Sunday 13 December 2015

What will Earth look like if all its land ice melts? Here's your answer.

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Friday 4 December 2015

America: Here’s a map of all the mass shootings in 2015

America:

Here’s a map of all the mass shootings in 2015

BY MEGAN HICKEYJOSHUA BARAJAS AND LAURA SANTHANAM  December 2, 2015 at 10:28 PM EST
As details surrounding the San Bernardino, California, shooting gradually emerged Wednesday evening, President Barack Obama told CBS News that the U.S. has “a pattern now of mass shooting in this country that has no parallel anywhere else in the world.”
The mass shooting at a social services agency in San Bernardino left at least 14 dead and 17 others wounded. It is also the deadliest mass shooting in the U.S. since Adam Lanza opened fire at Sandy Hook Elementary in Newtown, Connecticut, on Dec. 15, 2012, killing 26 children and adults, the Associated Press reported.
Using data from shootingtracker.com, which is maintained by a Reddit group, we’ve updated our map that documents all the U.S. mass shootings in 2015 alone. The group defines mass shootings as incidents when at least four people are killed or wounded, including the gunman.

According to the tracker’s data, the San Bernardino incident represents the 355th shooting this year, the Washington Post reported. The incident in San Bernardino also overshadowed another shooting in Savannah, Georgia that occurred the same day, claiming one life and injuring three others.
However, there’s not a standard definition of “mass shooting.” Adam Lankford, a criminal justice professor at the University of Alabama previously told the NewsHourthat FBI’s data included incidents where fewer than four people were shot and didn’t include shootings of multiple people that occur in a home or other uncrowded setting.
On Friday, a gunmen surrendered to police after an hourslong siege in Colorado Springs, Colorado, where he killed three people and wounded nine others in a Planned Parenthood clinic. The same day, a gunfight killed two and injured two in Sacramento, California. On Nov. 23, there were mass shootings in Houston, Minneapolis and Columbus, Ohio. There were five shootings on Nov. 22.
On Oct. 1, when a gunman killed 10 people and wounded seven more at a community college in Roseburg, Oregon, Obama also spoke of the routine nature of these shootings.
“[A]s I said just a few months ago, and I said a few months before that, and I said each time we see one of these mass shootings, our thoughts and prayers are not enough. It’s not enough,” Obama said.
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