भारत और चीन की ताकत
चीन के लिए 1962 जैसे हालात पैदा करना किसी भी लिहाज से आसान नहीं है। आज
भारत एक परमाणु हथियार संपन्न देश है। भारत के पास एक बड़ी फौज है। लेकिन बावजूद
इसके भारत की ताकत चीन की तुलना में काफी कम है। दोनों देशों की सामरिक क्षमता का
आकलन:
रक्षा खर्च के मामले
में चीन कहीं भारी
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सट्रैटेजिक स्टडीज़ के मुताबिक रक्षा खर्च के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है। वर्ष 2010 में जहां भारत ने 30865 अमेरिकी डॉलर की राशि रक्षा खर्च के मद में रखी वहीं, चीन ने 76361 अमेरिकी डॉलर की राशि इस मद में रखी। वित्त वर्ष 2010-2011 के आंकड़ों के आधार पर दुनिया के सर्वाधिक रक्षा खर्च वाले देशों में जहां चीन अमेरिका के बाद सूची में दूसरे नंबर पर है। वहीं, भारत इस सूची में पांचवें नंबर पर है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सट्रैटेजिक स्टडीज़ के मुताबिक रक्षा खर्च के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है। वर्ष 2010 में जहां भारत ने 30865 अमेरिकी डॉलर की राशि रक्षा खर्च के मद में रखी वहीं, चीन ने 76361 अमेरिकी डॉलर की राशि इस मद में रखी। वित्त वर्ष 2010-2011 के आंकड़ों के आधार पर दुनिया के सर्वाधिक रक्षा खर्च वाले देशों में जहां चीन अमेरिका के बाद सूची में दूसरे नंबर पर है। वहीं, भारत इस सूची में पांचवें नंबर पर है।
मिसाइल
मिसाइलों की बात करें
तो चीन के पास 13 हज़ार किलोमीटर रेंज वाली डांग फेंग-5 और इसी सीरीज की दूसरी मिसाइलें हैं। चीन के पास एंटी सेटेलाइट मिसाइल शिचांग
भी उपलब्ध है। इंटरनेशनल स्ट्रेटजिक एंड सिक्योरिटी स्टडीज प्रोग्राम, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के मुताबिक चीन का डीएफ-3ए मिसाइल 2800 किमी तक 2000 किग्रा
थर्मोन्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। वहीं, डीएफ-4ए 5000 किमी तक 2000 किग्रा के
थर्मोन्यूक्लियर वॉरहेड ले जा सकता है। जबकि डीएफ-5ए 10,000-13000 किमी तक 2000 किग्रा
थर्मोन्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने के काबिल है। डीएफ-21 3000 किमी तक 700 किग्रा न्यूक्लियर वॉरहेड ले जा सकता है। डीएफ-31 10,000 किमी तक 1000 किग्रा न्यूक्लियर
वॉरहेड ले सकता है। वहीं, डीएफ-31ए 7000 किमी तक 1800 किग्रा के
थर्मोन्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम। वहीं, दूसरी तरफ भारतीय
सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। अग्नि-1 लंबी दूरी तक मार
करने वाली पहली मिसाइल है। यह 700 किमी तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। जबकि अग्नि-2 आधुनिक नेवीगेशन सिस्टम पर आधारित है। यह 2000 किमी तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम बताई जाती है। अग्नि-3, 4 सड़क के किनारे से भी छोड़ा जा सकता है। 3500 किमी तक 1500 किग्रा वॉरहेड ले
जाने में सक्षम हैं। अब अग्नि-5 पर काम किया जा रहा
है, जिसे कई टारगेट भेदने में सक्षम बनाया जाएगा। अग्नि-5 5000 किलोमीटर तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले
जाने में सक्षम है। वहीं, पृथ्वी एंटी बेलिस्टिक मिसाइल को चकमा देने और 350 किमी तक 500 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। ब्रम्होस ध्वनि की गति
से 3 गुना तेजी से जाकर दुश्मन का काम तमाम कर सकता है। इसकी मारक क्षमता 290 किमी तक है।
ऐटमी हथियार
परमाणु हथियारों के मामले में भी चीन भारत से काफी आगे है। चीन के पास 150 से 200 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 50 से 90 परमाणु हथियार हैं।
नेवी
युद्धपोत के मामले में भी चीन भारत से आगे है। चीन के पास 75 युद्धपोत हैं तो भारत के पास 27 युद्धपोत हैं। यही नहीं चीन ने हाल ही में अपनी नौसेना को और धारदार बनाते हुए एक विमानवाहक युद्धपोत भी इसमें शामिल किया है। वहीं, भारत के पास मौजूदा समय में एक विमान वाहक पोत है। वहीं, रूस से जल्द ही भारत को एक और पोत आईएनएस गोश्कोर्व मिलने वाला है।
एयर फोर्स
चीन के पास करीब 1800 लड़ाकू विमान हैं। इनमें जे-11, जे-10, सुखोई-30 और जेएच-7 जैसे फाइटर प्लेन शामिल हैं। भारत के पास करीब 1000 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं।
चीन के पास करीब 1800 लड़ाकू विमान हैं। इनमें जे-11, जे-10, सुखोई-30 और जेएच-7 जैसे फाइटर प्लेन शामिल हैं। भारत के पास करीब 1000 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं।
आर्मी
चीन के पास सबसे ज़्यादा 23 लाख लड़ाकू सैनिक हैं। भारत के पास 13 लाख सैनिक हैं। पैरामिलिट्री के मामले में भारत चीन पर बीस साबित होता है। भारत के पास दुनिया की सबसे बार्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स (बीएसफ) है। वहीं, सीआरपीएफ भी बड़ी पैरामिलिट्री संस्था है।
इस मौके पर पलटकर देखना जरूरी है कि 50 साल पहले किन हालात में युद्ध शुरू हुए थे और उसकी क्या वजह और नतीजे थे:
1 comments:
बहुत अच्छी जानकारी इस ब्लॉग मे है ।
बहुत-बहुत धन्यबद
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