
Avz, Muzaffarpuri
author
हिंदुस्तानी तहजीब औरैर भारतीय मुसुसलमान
वह दीने-हिजाजी का बेबाक बेड़ा । निशां जिसका अक्साए-आलम में पहुँचा।।
मजाहम हुआ कोई खतरा न जिसका, न अम्मां में ठटका, न कुल्जम में झिझका।।
किये पै सिपर जिसने सातों समंदर। वह डूबा दहाने में गंगा के आकर।।
अर्थात्, अरब देश का वह निडर बेड़ा, जिसकी ध्वजा विश्वभर में फहरा चुकी थी, किसी प्रकार का भय जिसका मार्ग न रोक सका था, जो अरब और बलूचिस्तान की...