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क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत

“ क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत ा “ —गोलोक विहारी राय पिछले कुछ वर्षों...

Saturday, 30 November 2013

हिंदुस्तानी तहजीब औरैर भारतीय मुसुसलमान

Avz, Muzaffarpuri author हिंदुस्तानी  तहजीब औरैर भारतीय मुसुसलमान                       वह दीने-हिजाजी का बेबाक बेड़ा । निशां जिसका अक्साए-आलम में पहुँचा।।                        मजाहम हुआ कोई खतरा न जिसका, न अम्मां में ठटका, न कुल्जम में झिझका।।                       किये पै सिपर जिसने सातों समंदर। वह डूबा दहाने में गंगा के आकर।। अर्थात्, अरब देश का वह निडर बेड़ा, जिसकी ध्वजा विश्वभर में फहरा चुकी थी, किसी प्रकार का भय जिसका मार्ग न रोक सका था, जो अरब और बलूचिस्तान की...
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Monday, 25 November 2013

Pakistan just doesn’t feel like home

The Way I See It - Pakistan just doesn’t feel like home by - Hajra Hassnain I was awoken from my dreamy haze by my husband, creating a hue and cry about how he would get to work during the 8th Muharram processions. PHOTO: MOHAMMAD NOMAN/EXPRESS “I have and always will live in Canada.” Well, that was the plan until two years ago when all my plans, my vision for life – everything changed suddenly and rapidly. Quite unexpectedly, I had to make new plans, which included living in Pakistan. My eyes still closed I enjoyed the crisp, cool weather and tried to decipher whether the heating was on or not. As I pulled the pillow...
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इस्लाम धर्म में रैहान (तुलसी) की महत्ता

Author - Avz Muzaffarpuri इस्लाम धर्म में  रैहान (तुलसी) की महत्ता इस्लामी विश्वासों के अनुसार कुरान ईश्वर की तरफ से भेजी गई आखिरी किताब है और हजरत मोहम्मद नबियों के क्रम में आखिरी भेजे जाने वाले नबी (सल्ल0) हैं। कुरान के सूरह अहजाब में हजरत मोहम्मद के बारे में आता है कि वो अल्लाह के द्वारा भेजे गये आखिरी नबी (सल्ल0) हैं यानि उनके बाद नबूबत का सिलसिला खत्म कर दिया गया। इसका अर्थ ये है कि कुरान और हजरत मोहम्मद की शिक्षायें कयामत तक के लिये काम आने वाली है। तो यकीनन इनकी शिक्षाओं और संदेशों में वैसी बातें या सुझाव भी हैं जो उस जमाने के लिये भले उतनी प्रासंगिक न रही हो पर आज बड़े महत्व की है। इन्हीं तालीमों और संदेशों में पर्यावरण के बारे...
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Saturday, 23 November 2013

हमारे पूर्वज : हमारा अभिमान - हिन्दुस्तानी इस्लाम

by - Az. Muzaffarpuri हमारे पूर्वज  : हमारा अभिमान - हिन्दुस्तानी इस्लाम  इंसान अपनी हर चीज बदल सकता है, वह अपनी राष्ट्रीयता बदल सकता है, प्रांतीयता बदल सकता है, अपना मजहब बदलसकता है, अपना नाम बदल सकता है पर चाहकर भी अपने पूर्वज और अपने बाप-दादों को नहीं बदल सकता। इस कथनको साबित करने के लिये कर्इ दिलचस्प उदाहरण दिये जा सकते हैं। उदाहरणार्थ , 1. एक इंसान जनवरी, 1947 में वत्र्तमान बांग्लादेश के खुलना जिले में पैदा हुआ था। अगर उस समय उसे अपनी राष्ट्रीयता लिखनी होती तो वो हिंदुस्तानी या भारतीय लिखता। 1947 मे देश का विभाजन हुआ और पूर्वी बंगाल का खुलना जिला पाकिस्तान में चला गया। अब उस आदमी की राष्ट्रीयता बदल कर पाकिस्तानी हो गर्इ।...
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