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क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत

“ क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत ा “ —गोलोक विहारी राय पिछले कुछ वर्षों...

Wednesday, 4 January 2012

ढाका में त्रिदिवसीय रवीन्द्र उत्सव

त्रिदिवसीय रवीन्द्र उत्सव बंगलादेश की राजधानी ढाका में रवीन्द्रनाथ टैगोर के १५० वीं जयंती के अवसर पर्मनाया गया ! इस उत्सव का आयोजन सुरेर धारा संगीत विद्यालय की शिक्षिका एवं रवीन्द्र संगीत की प्रख्यात गायिका रिजवाना चौधरी वन्या द्वारा किया गया ! प्रधानमंत्री शेख हसीना बंग वन्धु इंटरनॅशनल कन्वेंशन सेंटर में इस पर्व का उदघाटन की! इस अवसर पर सुरेर धारा द्वारा २२२२ नृत्य गीत और नाटक की 22DVD का एक एलबम श्रृंखला जारी किया गया !                  प्रख्यात अर्थ शाश्त्री अमर्त्य सेन ने श्रुति गीतवितान शीर्षक DVD का अनावरण किय१ कार्यक्रम में टैगोर एक गीत का एकल चरण गायन में १००० गायकों ने भाग लिया! इस सहस्त्रो...
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Monday, 2 January 2012

भारत वर्ष

भारत वर्ष  1869-- Milchell 55-s-Asia British Indian Empire 1909 Imperial Gazetteer of I ndia                इतिहास साक्षी है , जब विदेशी शक्तियों ने अटोमन साम्राज्य पर आक्रमण कर उसका इतना टुकड़ा कर दिया कि आज इराक है , तुर्की है या एनी छोटे बड़े देश है, पर आज विश्व के मानचित्र से अटोमन साम्राज्य गायब है|कुछ ऐसा ही भारत के साथ हुआ | एक नहीं , दो नहीं, नौ- नौ टुकडे किया गया|फिर भी आज विश्व के नक़्शे पर भारत बचा हुआ है| इसे एक संयोग ही कहे , या ईश्वर की कृपा कहे , या इस भूमि की अपनी सुदृढ़ एवं बलशाली समाज का पुरुषार्थ और सनातन से काल से | चली आ रही गौरवशाली संस्कृति का प्रभाव कहे | १९ शताव्दी...
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जम्बूद्वीप

संसार में जब से भी इतिहास लिखने की शुरुवात हुई , तब से आज तक में लिखे गए सभी इतिहासों में दुनिया की सबसे पुराणी इतिहास की पुस्तक यदि कोई है तो वह पुराण ही है I सिर्फ एकमात्र पुराण ही है ! सृष्टि निर्माण के प्रारंभ से  तथा  महाभारत काल से पूर्व और बाद में भी यदि उन्नत मानव जीवन को धारण करने वाला कोई दुनिया का हिस्सा,द्वीप था तो वह केवल जम्बूद्वीप ही था ,जिसे आज का एशिया महाद्वीप कहते है|इसी का प्रारम्भिक अतिप्राचीन इतिहास अनेकानेक पुराण है|             सभी जानते है कि असुर और दानवी प्रकृतियाँ अपने कठोर श्रम एवं पुरुषार्थ से अतुल्य शक्ति एवं सामर्थ्य अर्जित करती है | उस शक्ति , सामर्थ्य का अक्षय...
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आर्यावर्त

आर्यावर्त          समाज  निर्माण के प्रारंभ से ही जो ब्यक्तियों का समूह समुन्नत हुआ , जो पृथ्वी के जम्बूद्वीप के भारत वर्ष क्षेत्र में निवास करता था ,वे ज्ञान विज्ञान कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक समुन्नत हुए !उनके अन्दर एक सामाजिक, राष्ट्रिक, एवं सांस्कृतिक भावना का विकास हुआ | विकास की यह कालांतर में  धारा सनातन- सनातन समाज -सनातन धर्मावलम्बी के नाम से जाना जाने लगा ! जिसने वेदों सहित समाज के नियमन के लिए अनेकानेक संहिताओं की रचना की|यह कार्य एक व्यवस्थित समाज जीवन में बैठ कर किया गया|भले ही आधुनिक अल्प बुद्धि मूर्खों ने इसे आज अरण्य साहित्य के नाम से पुकारते है|यह एक विडम्बना ही है|इस विकाश की...
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