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क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत

“ क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत ा “ —गोलोक विहारी राय पिछले कुछ वर्षों...

Monday, 2 January 2012

जम्बूद्वीप

संसार में जब से भी इतिहास लिखने की शुरुवात हुई , तब से आज तक में लिखे गए सभी इतिहासों में दुनिया की सबसे पुराणी इतिहास की पुस्तक यदि कोई है तो वह पुराण ही है I सिर्फ एकमात्र पुराण ही है ! सृष्टि निर्माण के प्रारंभ से  तथा  महाभारत काल से पूर्व और बाद में भी यदि उन्नत मानव जीवन को धारण करने वाला कोई दुनिया का हिस्सा,द्वीप था तो वह केवल जम्बूद्वीप ही था ,जिसे आज का एशिया महाद्वीप कहते है|इसी का प्रारम्भिक अतिप्राचीन इतिहास अनेकानेक पुराण है|
            सभी जानते है कि असुर और दानवी प्रकृतियाँ अपने कठोर श्रम एवं पुरुषार्थ से अतुल्य शक्ति एवं सामर्थ्य अर्जित करती है | उस शक्ति , सामर्थ्य का अक्षय स्रोत्र भय, उत्पीडन, विनाश व शोषण होता है|उनका ज्ञान विज्ञानं भी उनके द्वारा किये जा रहे विनाश और संहार को रोक नहीं पाता है|वे दुसरे कि कृति,यश को नकारते है|यहाँ तक कि वे दुसरे के अस्तित्व को स्वीकार ही नहीं करते है| उसका शोषण ,उत्पीडन करते है|यहाँ तक कि अपने स्वार्थ अव सतीत्व की रक्षा हेतु उसका सदैव के लिए नामोनिशान भी मिटा देते है | विनाश कर देते है|वे अपनी श्रेष्ठता को ही सर्वोच्च मानते है !दुसरे की श्रेष्ठता को नकारा घोषित कर देते है|कुछ ऐसा ही कमोवेश अमेरिका और यूरोप का इतिहास और प्रकृति रही है और है भी|एक समय ऐसा भी आता है कि इस अत्याचार ,दमन उत्पीडन का 
अंत इन आसुरी शक्तियों के विनाश व अंत के साथ निश्चित ही होता है| इस समय की कभी कभी लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ती है | वह समय प्रारंभ हो चूका है ,वह समय आ गया है |
              आज आवश्यकता है , जम्बूद्वीप , चाहे उसे जिस नाम से कहे कोई अंतर नहीं अपने अतीत व इतिहास से प्रेरणा प्राप्त करे , अपने भूले , ध्यान रहे जो बिखरा नहीं है , को पढ़े ,उस अतीत से उर्जा प्राप्त करे , वर्तमान की सारी कटुताओं को सुलझाकर विस्मृत कर ले ! एक नई एकता , दृढ़ता, शांति  व संकल्प के साथ एक नए वातावरण में  एक नए युग का , एक नए विश्व का निर्माण करे , जो विश्व को इस संक्रांति, संक्रमण की बेला में मार्गदर्शन दे सके, एक नई दिशा दे सके|पर स्मरण रहे यह जबाब देहि जम्बूद्वीप की है , विश्व से अपेक्षा न करे ! अपेक्षा सद्समाज , सद्व्यक्ति, सद्चरित्र से की जाती है |धूर्त, कुटिल, अत्यधिक चतुर-चालाक , क्रूर , शोषक, तथा उत्पीड़क से नहीं की जाती है,जो आज का अमेरिका व यूरपो है |
         एक नई दृढ़ता, एकता, संकल्प के साथ सुख- शांति के वातावरण में एक नए विश्व को दिशा देने की चिरप्रतीक्षित बेला में एक जबाबदेही के साथ ......................
    वह जम्बूद्वीप ..........**यस्य विश्वे हिमवन्तो महित्वा ! समुद्रे यस्य रसाभिदाहः  ! इमाश्च में प्रदिशो यस्यबाहू | कस्मैदेवाय हविषाविधेयं !
                              ***अत्रापि भारतं श्रेष्ठं जम्बूद्वीपे महामुने |
                                   यतो हि कर्म्भूरेषा ह्यातोंया भोगभुमयाह |

सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।

नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)


Jamboodweep Social & Cultural Security 

जम्बूद्वीप सामाजिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा

"Jamboodweep " --- "जम्बूद्वीप"
जम्बूदीप ---- सम्पूर्ण एशिया
आर्यावर्त ---- पारस (इरान), अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप, थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया,    
                   वियतनाम, लाओस तक
भारत वर्ष---- अफगानिस्तान , पाकिस्तान, भारत, नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप
                    
     

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