अभी पुष्पा को कालेज आये चार ही दिन हुए थे कि उसकी मुलाक़ात एक क्रांतिकारी से हो गयी. लम्बी कद का एक सांवला सा लौंडा… ब्रांडेड जीन्स पर फटा हुआ कुरता पहने क्रान्ति की बोझ में इतना दबा था कि उसे दूर से देखने पर ही यकीन हो जाता था ..इसे नहाये मात्र सात दिन हुये हैं….. .बराबर उसके शरीर से क्रांति की गन्ध आती रहती थी… लाल गमछे के साथ झोला लटकाये सिगरेट फूंक कर क्रांति कर ही रहा था तब तक….पुष्पा ने कहा…”नमस्ते भैया….“हुंह ये संघी हिप्पोक्रेसी.” ..काहे का भइया और काहे का नमस्ते? ..हम इसी के खिलाफ तो लड़ रहे हैं… प्रगतिशीलता की लड़ाई… ये घीसे पीटे संस्कार… ये मानसिक गुलामी के सिवाय कुछ नहीं….. आज से सिर्फ लाल सलाम साथी कहना.पुष्पा ने सकुचाते हुए पूछा.. “आप क्या करते हैं .. क्रांतिकारी ने कहा..”हम क्रांति करते हैं…. जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ते हैं.. शोषितों वंचितों की आवाज उठाते हैं..क्या तुम मेरे साथ क्रांति करोगी? पुष्पा ने सर झुकाया और धीरे से कहा…. “नहीं मैं यहाँ पढ़ने आई हूँ… कितने अरमानों से मेरे किसान पिता ने मुझे यहाँ भेजा है.. पढ़ लिखकर कुछ बन जाऊं तो समाज सेवा मेरा भी सपना है…..”.क्रांतिकारी ने सिगरेट जलाई और बेतरतीब दाढ़ी को खुजाते हुए कहा… .यही बात मार्क्स सोचे होते… लेनिन और माओ सोचे होते…. कामरेड चे ग्वेरा….? बोलो?तुमने पाश की वो कविता पढ़ी है…“सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना”तुम ज़िंदा हो पुष्पा. मुर्दा मत बनों…. क्रांति को तुम्हारी जरूरत है…. लो ये सिगरेट पियो….”पुष्पा ने कहा…”सिगरेट से क्रांति कैसे होगी..?क्रांतिकारी ने कहा..”याद करो माओ और चे को वो सिगरेट पीते थे… और जब लड़का पी सकता है तो लड़की क्यों नहीं…. हम इसी की तो लड़ाई लड़ रहे हैं… यही तो साम्यवाद है.”और सुनो कल हमारे प्रखर नेता कामरेड फलाना आ रहे हैं…. हम उनका भाषण सुनेंगे.. और अपने आदिवासी साथियों के विद्रोह को मजबूत करेंगे… लाल सलाम. चे. माओ ....लेनिन..”पुष्पा ने कहा… “लेकिन ये तो सरासर अन्याय है… कामरेड फलाना के लड़के तो अमेरिका में पढ़ते हैं… वो एसी कमरे में बिसलेरी पीते हुए जल जंगल जमीन पर लेक्चर देते हैं… और वो चाहतें हैं कि कुछ लोग अपना सब कुछ छोड़कर माओवादी बन जाएँ और बन्दूक के बल पर दिल्ली पर अपना अधिकार कर लें… ये क्या पागलपन है.. उनके अपने लड़के क्यों नहीं लड़ते ये लड़ाई. हमें क्यों लड़ा रहे.? क्या यही क्रांति है”?क्रांतिकारी को गुस्सा आया… उसने कहा.. “तुम पागल हो.. जाहिल लड़की.. तुम्हें ये सब बिलकुल समझ नहीं आएगा… तुमने न अभी दास कैपिटल पढ़ा है न कम्युनिस्ट मैनूफेस्टो… न तुम अभी साम्यवाद को ठीक से जानती हो न पूंजीवाद को…”पुष्पा ने प्रतिवाद करते हुए कहा….”लेकिन इतना जरूर जानती हूँ कामरेड कि मार्क्सवाद शुद्ध विचार नहीं है.. इसमें मैन्यूफैक्चरिंग फॉल्ट है.यह हीगल के द्वन्दवाद, इंग्लैण्ड के पूँजीवाद और फ्रांस के समाजवाद का मिला जुला रायता है….. जो न ही भारतीय हित में है न भारतीय जन मानस से मैच करता है..क्रांतिकारी ने तीसरी सिगरेट जलाई… और हंसते हुए कहा… “ये बुर्जुआ हिप्पोक्रेसी.. तुम कुछ नहीं जानती… छोड़ो… तुम्हें अभी और पढ़ने की जरूरत है… कल आओ हम फैज़ को गाएंगे…. “बोल के लब आजाद हैं तेरे’पाश को गुनगुनाएंगे.. हम क्रांति करेंगे…. “आई विल फाइट कामरेड” “हम लड़ेंगे साथी.. उदास मौसम के खिलाफ”
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