मुस्लिम महिलाओं के साथ बड़ी ज्यादती और गुनाह है ट्रिपल तलाक, इसे समाप्त करना जरूरी: श्री इंद्रेश कुमार
ट्रिपल तलाक, श्री राम जन्मभूमि मंदिर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोहरे मापदंड को लेकर एक सेमिनार का आयोजन 24 अप्रैल, 2017 को कृष्ण मेनन भवन, भगवान दास रोड (सुप्रीम कोर्ट) किया गया, जिसमें माननीय श्री इंद्रेश कुमार जी (सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी मंडल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।
श्री इंद्रेश कुमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक मुस्लिम महिलाओं पर एक तरह का अत्याचार है और ये पाप के समान है। ट्रिपल तलाक हर तरीके से गुनाह है। देश व समाज के हित के मद्देनजर मुस्लिम समाज के सुधारीकरण के लिए जरूरी है कि इसे समाप्त किया जाए और हमने इसे समाप्त करने का संकल्प लिया है। मुस्लिम महिलाओं के साथ तलाक और ट्रिपल तलाक बहुत बड़ी ज्यादती है। ट्रिपल तलाक से मुस्लिम महिलाओं को हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति दिलवाने का अब सही मौका है। इस पाप और अत्याचार को हर हालत में समाप्त किया जाएगा।
कुरान शरीफ और हदीस के अनुसार तलाक खुदा को नापसंद है। कुरान शरीफ में भी तलाक एक गुनाह है। निकाह खुदा के घर में तय होते है और धरती पर सजाए और नवाजे जाते हैं। तलाक एक गुनाह है इसे नहीं करना चाहिए। मुस्लिम विद्वानों ने भी तलाक का विरोध किया है। ट्रिपल तलाक की इजाजत ना कुरान शरीफ देता है ना ही हदीस ने इसे सही माना हैं। ट्रिपल तलाक गैर इस्लामिक है, गैर कानूनी है और अमानवीय भी है। उन्होंने ट्रिपल तलाक को एक बुराई करार देते हुए इसे पैगम्बर साहब की शिक्षा के भी खिलाफ बताया और कहा कि तलाक एक बुराई है और पैगम्बर की शिक्षा भी इसे नकारती है। उन्होंने कहा कि तलाक कुरान में नापसंदीदा अमल है। जब तलाक होता है तो अर्श हिलता है। फिर भी यदि तलाक हो तो कुरान और हदीश की रोशनी में हो। गुस्से में आकर एक ही जगह तीन बार तलाक देना नाजायज है। खुदा को सबसे नापसंद चीजों में तलाक भी शामिल है। गुस्सा, जल्दबाजी, घृणा, नशे आदि में यदि तलाक कहा गया है तो यह अस्वीकार्य है। इतिहास को देखें तो यह साफ है कि किसी नबी-पैगम्बर ने अपनी बीवी को तलाक नहीं दिया।
बाद के कालखंड में कुरान और हदीश को अपनी सुविधानुसार व्याख्या कर मुस्लिम समाज के कुछ वर्ग ने शरिया को अपने अनुसार तैयार किया। इसके अनुसार, ट्रिपल तलाक को जानबूझकर स्वार्थवश अपनी सुविधा के अनुसार तैयार किया, जो पूरी तरह गैर इस्लामी और अनैतिक है। इस्लाम में जिनके दिमाग में शैतान था, उनके दिमाग की उपज है ट्रिपल तलाक और हलाला। इसे समाप्त किए जाने का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विरोध करता रहा है, लेकिन मेरा मानना है कि इस मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मान्यता ही नहीं देना चाहिए।
आज मुस्लिम समाज में इस मसले के निराकरण को लेकर हलचल मची है। आज जरूरत है सत्य और सही को समझने की। हम सभी का प्रयास यह होना चाहिए कि मुस्मिल समाज की महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों से उन्हें निजात दिलाया जाए। भारत के लिए यह सुअवसर है कि देश को हिंसामुक्त और अत्याचार मुक्त बनाएं। हम सभी धर्मों का सम्मान करने वाले लोग हैं।
उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में वह अब तक दर्जनों मुस्लिम देशों में समारोह को संबोधित कर चुका हूं, हजारों मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इस समाज के लोगों के साथ वैचारिक विमर्श कर चुका हूं। अपने इस अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि इस्लाम की कट्टरता और हिंसा के खिलाफ एक सुधारवाद शुरू हो गई है। मुस्लिम समाज के बीच उकसावे व भड़काऊ कृत्य को अंजाम देने वालों को अब बदलना होगा। हमारी ये मुहिम व्यापक हो गई है।
श्री रामजन्मभूमि मंदिर मामले को लेकर इंद्रेश कुमार ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर एक विवाद न होकर लोगों की भावनाओं का सवाल है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके किया गया है। इतिहास गवाह है कि आजतक मुस्लिम समुदाय ने कभी भी वहां नमाज अदा नहीं की। कुरान में भी यह बात स्पष्ट है कि किसी भी विवादित स्थान पर की गई इबादत को खुदा भी स्वीकार नहीं करता है। इस मामले में सत्य तो आखिर सत्य है, असत्य से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की ओर इशारा करते हुए उनहोंने फिर कहा कि वे कुराफात से बाज आएं और देश के मुसलमानों को भड़काने की बजाय प्यार व भाईचारा को बढ़ाएं। अब सवाल यह है कि लोगों को पाक मस्जिद की जरूरत है या फिर नापाक मस्जिद की। उन्होंने यह भी कहा कि समय, इतिहास व सत्य के साथ कभी समझौता नहीं किया जा सकता है। यह मुद्दा सुलझना है और इसे हल होने से कोई नहीं रोक सकता। अब तो कुछ मुस्लिम संगठन भी राम मंदिर के निर्माण के समर्थन में उतर आए हैं। एक दिन मंदिर बनेगा और पूरा देश इसे देखेगा। मानवता और राष्ट्र से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हम अभिव्यक्ति की आजादी में भरोसा रखते हैं, पर यह सब कानूनी दायरे में होना चाहिए। देश में सभी लोगों को बोलने की आजादी है, लेकिन मारपीट, हिंसा, गलतबयानी की आजादी नहीं है। हर समस्या का समाधान संवाद से निकल सकता है। लेकिन समझने और समझाने के लिए हम तैयार नहीं हैं। इस देश को अब स्वाभिमान से जीने की आदत डालनी चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कट्टरता फैलाने वाले का विरोध न करना अपराध है, पाप है। जेएनयू, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में घटी घटनाएं एंटी डेमोक्रेट, एंटी सेक्युलर और एंटी नेशनल है। ये कतई स्वीकार्य नहीं है।
चीन ने भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देकर दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर रोक लगाने की बात कही। चीन ने रिश्ते बिगड़ने की धमकी दी। चीन ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का विरोध किया और पाक आतंकी मसूद अजहर का पक्ष लिया। भारत ने इसे हस्तक्षेप करार दिया। अब दोहरा रवैया नहीं चल सकता है। दोहरे मापदंड से न कानून चल सकता है और न समाज।
समारोह के अंत में उन्होंने कहा कि अब इस मिशन को वहां तक ले जाना है, जब तक भारत विश्व शक्ति न बने। हम विश्व शांति के पुरोधा हैं, मिलकर चलेंगे और मिलकर बनाएंगे।
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