ट्रिपल तलाक मुद्दे पर समाज में झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह कर रहा है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड: प्रो. मोहम्मद शब्बीर
फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी (दिल्ली चैप्टर) की ओर से 24 अप्रैल, 2017 को कृष्ण मेनन भवन, भगवान दास रोड (सुप्रीम कोर्ट) में ट्रिपल तलाक, श्री राम जन्मभूमि मंदिर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोहरे मापदंड को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस सेमिनार को संबोधित करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और विधि विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद शब्बीर ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर प्रमुखता से अपनी राय रखी। उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर इस मसले को लेकर समाज में झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बोर्ड ट्रिपल तलाक का झूठ के सहारे बचाव कर रहा है ताकि महिलाओं का शोषण जारी रहे।
ट्रिपल तलाक पर पूरे देश में छिड़ी बहस के बीच प्रो. शब्बीर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने बोर्ड पर समाज में झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बोर्ड तीन तलाक के झूठ के सहारे मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का बचाव कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह मुस्लिम महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को जारी रखने के ख्याल से ऐसा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से पेश किए गए हलफनामे को प्रो. शब्बीर ने गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि बोर्ड का हलफनामा गुमराह और कुरान के खिलाफ है। पाकिस्तान व दूसरे कई मुस्लिम देशों में तलाक व हलाला पर पाबंदी है। मुस्लिम पर्सनल बोर्ड को इन मुस्लिम देशों से सीख लेनी चाहिए और तीन तलाक मसले पर कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखना चाहिए। प्रो. शब्बीर ने कहा कि शाफई, मालकी व हंबली स्कूल ऑफ थॉट में तीन तलाक मान्य नहीं है। शियाओं में भी तीन तलाक मान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक पर रोक के लिए पाकिस्तान में फैमिली ऑर्डिनेंस एक्ट पारित हुआ। ट्रिपल तलाक और हलाला पर रोक लगी। कोर्ट के मार्फत ही तलाक मान्य होते हैं ना कि तीन बार तलाक कह देने से तलाक हो जाता है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक सुन्नी स्कूल ऑफ थॉट में जायज है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान, ट्यूनीशिया, मोरक्को, ईरान और मिस्र जैसे एक दर्जन से ज्यादा इस्लामी देशों ने एक साथ तीन तलाक का रेगुलेशन किया है। अगर इस्लामिक देश कानून बनाकर तीन तलाक को रेगुलेट कर सकते हैं और इसे शरिया के खिलाफ नहीं पाया गया है, तो यह भारत में कैसे गलत हो सकता है, जो धर्मनिरपेक्ष देश है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समाज में कोई अच्छा संदेश नहीं दे सकता है, क्योंकि उसके पास तर्क के नाम पर झूठ के सिवाय कुछ नहीं है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उसके पास तर्क के आधार पर बचाव करने के लिए कुछ है ही नहीं। उन्होंने कहा कि कुरान में तलाक की व्याख्या पूरी तरह दी गई है। इस्लाम में नितांत जरूरी होने पर ही तलाक की इजाजत की बात कही गई है। इसके पीछे के कारणों का विस्तार से इसमें उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि अल्लाह की नजरों में भी तलाक को सबसे घृणास्पद चीज माना गया है। कुरान में तलाक को लेकर वर्णित कुछ बिंदुओं के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि जायज कारणों के आधार पर ही तलाक दिया जाना चाहिए। इसे अंजाम देने से पहले सुलह की कई प्रयास होने चाहिए। यदि ये सारे प्रयास विफल हो जाते हैं, तभी इसे अमल में लाना चाहिए। विदेशों में बैठकर कहीं से तीन तलाक कह देना, ऐसा किसी नियम का इसमें उल्लेख नहीं है। ट्रिपल तलाक को मुस्लिमों के प्रमुख वर्ग के द्वारा भी पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। इन हालातों में कोई भी मुस्लिम महिला अपने पति के आचरण से संतुष्ट नहीं हैं तो वह कानून का सहारा ले सकती है। अपनी धार्मिक आजादी को बचाए रखने का अब यह सही समय है। मुस्लिम समाज के भी बुद्धिजीवी लोग इस मसले को लेकर सामने आने लगे हैं।
प्रो. शब्बीर ने कहा कि अब यह ट्रिपल तलाक का मसला बहुत हो गया, इसका हल निकलना चाहिए। इसके लिए अब यह सही समय है। मुस्लिम वर्ग के नेता मौजूदा सरकार से संपर्क करें और इस विषय में संविधान के अनुसार उचित प्रावधान किए जाएं।
सेमिनार के दौरान राममंदिर निर्माण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी चर्चा की गई। सभी वक्ताओं ने एक सुर में सहमति से मंदिर निर्माण पर जोर दिया। साथ ही, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की आलोचना की।
इस समारोह में माननीय श्री इंद्रेश कुमार जी (सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी मंडल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।
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