ट्रिपल तलाक जैसी बीमारी का इलाज अब बेहद जरूरी, इसे पूरी तरह खत्म किया जाए: शहनाज अफजल
फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी (दिल्ली चैप्टर) की ओर से 24 अप्रैल, 2017 को कृष्ण मेनन भवन, भगवान दास रोड (सुप्रीम कोर्ट) में ट्रिपल तलाक, श्री राम जन्मभूमि मंदिर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोहरे मापदंड को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (आरआरएम) की शहनाज अफजल ने इस सेमिनार को संबोधित करते हुए ट्रिपल तलाक से मुस्लिम महिला को हो रही दुश्वारियों को लेकर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक पर आज पूरे देश में महसूस किया जा रहा है कि इसे जल्द खत्म किया जाए। ये सभी लोगों की चाहत है। इसकी पीड़ा हजारों मुस्लिम महिलाओं ने अब तक झेली हैं और मौजूदा समय में बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं इसे झेल रही हैं। शहनाज ने कहा कि इस बीमारी (ट्रिपल तलाक) का इलाज अब बेहद जरूरी है। वैसे भी महिलाएं अपनी आजादी विशेषकर धार्मिक आजादी के प्रति खासा जागरुक हो रही हैं। धार्मिक आजादी होनी चाहिए लेकिन महिलाओं की नैतिकता को ठेस पहुंचे तो ये गलत है।
शहनाज अफजल ने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा इन दिनों लगातार चर्चा में है और इसकी जमकर खिलाफत शुरू हो गई है। कई इस्लामिक देशों में भी इस प्रथा पर प्रतिबंध है और अब भारत में भी इस प्रथा पर रोक के लिए अब आवाज बुलंद होने लगी है। लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में बेवजह अड़ा हुआ है। बोर्ड तीन तलाक के मुद्दे पर अनर्गल तर्क गढ़ रहा है। बोर्ड को मुस्लिम महिलाओं की दशा को लेकर झूठे तर्क गढ़ने की बजाय इस मुद्दे के निराकरण के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए। यदि बोर्ड की मंशा यही रहेगी तो मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधारीकरण के प्रयास को ठेस पहुंचेगी। धार्मिक आधार पर ट्रिपल तलाक को बेवजह तूल देने से इन महिलाओं की स्थिति और बदतर होगी। जबकि कुरान में भी तलाक को लेकर स्पष्ट व्याख्या है, तो ऐसे में क्यों नहीं बोर्ड को सदाशयता का परिचय देकर इस मामले में गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ट्रिपल तलाक को खत्म करने की बात से गुरेज करता है तो इसका समाधान कानून के जरिये होना जरूरी है।
उन्होंने बोर्ड पर जमकर निशाना साधा और कहा कि बोर्ड ने अपने दरवाजे ट्रिपल तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं के लिए क्यों नहीं खोले? यहां सवाल कुरान शरीफ में वर्णित किसी कानून के विरोध का नहीं है बल्कि इसका दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं के हक का है।
आज गांवों, शहरों में कई ऐसे परिवार हैं, जो इस बात को लेकर परेशान हैं कि वो अपनी तलाकशुदा बेटियों-बहनों का अब क्या करें? उनकी जिंदगियां बद से बदतर हो रही हैं और मुश्किल हालात के चलते उनका जीना दूभर हो गया है। ऐसे में मुस्लिम महिलाओं के हितों के आधार पर निश्चित ही कानून बनाए जाएं।
शहनाज अफजल ने यह भी कहा कि आज मैं इस विषय पर श्री इंद्रेश जी की हौसला-आफजाई के चलते ही कुछ कहने का साहस जुटा पाई हूं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इस गंदी रवायत (ट्रिपल तलाक) को क्यों चलाया जा रहा है? यह अल्लाह-नबी को भी पसंद नहीं है। पूर्व की रवायत को आज के दौर में काफी बदल दिया गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश का हवाला देते हुए कहा कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी ने ट्रिपल तलाक के मसले पर काफी गंभीरता के साथ स्टैंड लिया, चूंकि यह राज्य इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है। ट्रिपल तलाक के सबसे अधिक मामले इसी राज्य से सामने आए हैं। झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में ट्रिपल तलाक से पीडि़त महिलाओं की संख्या में खासा इजाफा होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तीन तलाक का दंश झेलने वाली महिलाएं अब शासन-प्रसाशन को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगा रही हैं। मुस्लिम महिलाएं अब खुलकर सामने आने लगी हैं और अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही हैं। हालांकि, इससे पहले भी ये महिलाएं अपनी आवाज उठाती रही हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। लेकिन अब ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर इन महिलाओं की बेबाक अभिव्यक्ति के चलते इसे मजबूती मिली है। इस जुल्म के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने कभी फतवा नहीं दिया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कानून के अनुसार गलत काम करने वाले को तलाक देने के मामले में कभी सजा नहीं दी। और न ही इस मामले में कभी कोई अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। आज हालात यह हैं कि मुस्लिम महिलाएं अवसाद, तनाव में जी रही हैं।
उन्होंने कहा कि अब ये मामला कोर्ट पहुंच गया है और आगामी दिनों में इस पर ठोस निदान होने की हमें उम्मीद है। इस मामले का निदान कोर्ट के जरिये होना मुस्लिम महिलाओं के हक में साबित होगा। ट्रिपल तलाक नामक इस बीमारी का इलाज अब बेहद जरूरी हो गया है। मेरा यह मानना है कि ट्रिपल तलाक को पूरी तरह खत्म किया जाना चाहिए। अब ये समाजिक सुधार का समय है। साथ ही, पूरा न्याय तभी होगा, जब पीडि़त महिलाओं को संबंधित प्रोपर्टी का आधा हिस्सा दे दिया जाए ताकि वह अपना जीवन बिना किसी कठिनाई के गुजार सकें।
इस समारोह में माननीय श्री इंद्रेश कुमार जी (सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी मंडल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।
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