Translate

Featured post

क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत

“ क्षेत्रीय सुरक्षा , शांति और सहयोग की प्रबल संभावना – चीथड़ों में लिपटी पाकिस्तान की राष्ट्रीयत ा “ —गोलोक विहारी राय पिछले कुछ वर्षों...

Friday, 20 October 2017

यादें

यादों का क्या है
किसी भी पल
ज़हन के द्वार
खटखटा देती हैं
न सोचती
समझती
विचारती
न ही संकोच करती हैं
बिन बुलाए मेहमां सी
देहलीज़ पर
पग धर देती हैं

बड़ी बिगड़ैल हो गयी हैं
ये यादें
देर रात को
टहलने निकलती हैं
यादें कुछ ऐसी हैं, जैसे
कहानी की नायिका
हर अंक में चली जाती है
अन्त को एकाकी छोड़कर
अपनी विवशताओं के साथ
जहाँ नायक
दुखान्त सहानुभूति को लिखता है

0 comments: