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Friday 13 October 2017

छटपटाहट

छटपटाहट

जिंदगी में चलते चलते
हम कहाँ आगये
हर दिन
अजीब मुसीबतों संग
लड़ते लड़ते तंग आगये
अक्सर ऐसा होता है
दिमाग अशान्त होता है
दिल लाख चाहे
खुश होना फिर भी
उदासियों का ही
बसेरा होता है
उदासियाँ अकसर
मौन कर देती हैं
खुशियां चीख चीख कर
अपना अहसास करवाती हैं
व्यवस्था सम्बन्धों की
बेड़ियों में जो हम हैं
आज़ादी कुछ यों ही
छटपटाती है

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